https://youtu.be/8Bakp3UKa3c
बाबूमोशाय बन्दूकबाज़
कुशन नंदी द्वारा निर्देशित …
ग़ालिब असद भोपाली द्वारा लिखित … और
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी – बिदिता बग, जतिन गोस्वामी, श्रद्धा दास – अरे ये में क्या कर रहा हूँ?!! और जनता कहाँ है?
मैं भी ना!
ऊहु अहेम – हाँ तो … पता चला है की नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की अभिनीत एक नयी फिल्म आने को है जिसके चर्चे हो रहे है, फिल्म का नाम है बाबूमोशाय बन्दूकबाज़!
WAW! – अगर मेरे बचे खुचे दिमाग ने इस तरह का नाम सोंचा होता अपनी किसी स्क्रिप्ट के लिए, तो मैं उसी रात चुप्पय से खिड़की से उतरकर सोते हुए खुद अपना ही गला दबा डालता! खैर मुझे नाम थोड़ा अजीब और Funny लगा पर शायद प्रोडूसर्स को ये पसंद आया हो, उन्हें ये नाम पसंद आया?
यार चलो आगे बढ़ते है – ये इशू यही बंद करते है!
हाँ, तो इस फिल्म से मैंने क्या अपेक्षाएं पाल रखी है? वो जानने से पहले ये देखते है की इसमें क्या कहा जा रहा है –
सीन शुरू होता है नवाज़ के चरित्र द्वारा खुले में पखाना झाड़ते हुए पंक्षियों के उड़ते समूह को अपनी मुट्ठी मैं कैद करने के दृश्य से, जादू से नहीं बल्कि वैसे ही जैसे हम आँख बंद कर के अपनी समस्याओं से पल्ला झाड़ लेते है वैसे!
उसके बाद, एक छोटे से मोंटाज द्वारा ये दिखाया जाता है की नवाज़ द्वारा निभाया गया चरित्र एक चरित्रहीन, आवारा और अपराधीनुमा हीरो है, जैसा की असल ज़िन्दगी में होता है.
तो इस फिल्म को यहाँ पूरे पॉइंट्स मिलते है मेरी तरफ से, रियलिटी दिखाई गयी है.
फिर एक दिन उसे किसी लड़की से प्यार हो जाता है जिसका चरित्र निभाया है नीतू चंद्रा ने, नहीं एक मिनट रुकना ज़रा…बिदिता बग ने निभाया है! बहुत ही पेचीदा ताना बाना बुना जा रहा इस दमदार प्लाट का, खैर आगे…
हाँ तो आगे ये पता चलता है की बाबू (नवाज़) जो की एक शार्पशूटर है —- एक बात, शार्प एकदम अलग चीज़ होती है और शूटर एकदम अलग – शर्पशूटिंग में राइफल का यूज़ होता है दूर से कठिन निशाना लगाने के लिए, शूटिंग में सामने से गोली दागी जाती है … बाबू इसमें हर गोली अगल बगल से दाग रहा है और है ‘शार्पशूटर’!
खैर आगे…
हाँ, तो बाबू शार्पशूटर होता है और उसके इन करतबी कारनामो से प्रभावित होकर एक नवयुवक उसका जबरा फैन बन जाता है जो उससे भी आगे निकलने की होड़ लगाना शुरू कर देता है.
साम दाम दंड भेद हर तरह से.
क्योकि वो दुष्ट है…बहुत दुष्ट!
अब बात ये बनती है की उन दोनों को ही तीन लोगो को मारने का contract मिलता है, जिसका पैसा वो दोनों खुद ही रखना चाहते है, इसलिए वो ये दांव लगते है की जो भी तीन में से दो को मरेगा वो सारा पैसा रखेगा. दोनों ही एक एक मार डालते है और फिर आखिरी वाला दोनों एक साथ मारते है. या वैसा ही कुछ पर मामला वही शांत हो जाता है.
फिर अगले सीन मे दिखाया जाता है, बाबू की गर्लफ्रेंड के घर में आग लग जाती है, क्योकि कोई उसे मारने की कोशिश कर रहा है…शायद… ये लोग इतने सारे इधर उधर के सीन बीच में जोड़ देते है की ट्रेलर का मतलब सिर्फ तफरी वाले डायलाग ही हो जाता है.
और वो भी पुराने वाले, बासी डायलॉग्स, उघ!
और फिर पता चलता है की तीन नहीं चार का कॉन्ट्रैक्ट था, चेले ने झूठ बोला था, और बाबू को गाली देते और गोली चलाते हुए कुछ और दिखाया जाता है और फिर… जैसा की नियम है भारतीय मार धाड़ वाली फिल्मो का, अंत में भोकाली डायलाग वाला एक और सीन रखा जाता है.
इस अंत वाले डायलाग की “भोकाल पावर” दस में चार है सही से देखा जाये तो, पर इन्होने उसे दस में दो का बना दिया है. तो बस यही सब था.
आप को लग रहा होगा मैं हसी ठठ्ठा कर रहा हूँ पर नहीं ऐसा नहीं है…ये फिल्म शायद वासेपुर वाली फिल्म की तरह बनायीं गयी होगी हालाँकि उस मामले में दिल्ली बहुत दूर दिखती है मुझे.
खैर, इस ट्रेलर से जो अच्छी बाते पता चल रही है वो ये है की – बिदिता बग सुन्दर है और उन्हें शायद वाकई में अभिनय आता है, शायद, अभी कुछ कह नहीं सकते पर ऐसा बहुत कस के लगता है. ये फिल्म करैक्टर आर्टिस्टों , नए अभिनयकारो को लेकर बनाई गयी है, ये चीज़ और ज्यादा होनी चाहिए. ये फिल्म एक थ्रिलर एक्शन है जो भले ही थोड़ी कच्ची सी लग रही है मुझे, पर चलो ऐसा कुछ हुआ तो सही. फिल्म अच्छी ही होगी, ख़राब तो बिलकुल नहीं होगी. एक बार तो देखी ही जा सकती है!
बाबूमोशाय बन्दूकबाज़ पच्चीस अगस्त को लग रही आप चाहे तो इस पर बेझिझक पैसे खर्च कर सकते है!
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