देखते ही देखते फिर से दिवाली ने दस्तक दे दी है..माहौल खूबसूरत सा, खुशनुमा सा लगने लगा है. बाजार भी अपने मिज़ाज़ पर है, रोशनाई, दिए, मिठाई, पटाखे और भी न जाने कितनी नयी चीजे अपनी ओर हमारा ध्यान खीचने लगी हैं. वैसे भी दीपावली त्यौहार ही है खुशियाँ मिलने का उन्हें अपनों में बाँटने का, ऑफिस से बोनस मिलने का, बहुत सारी छुट्टियों का, बच्चों के लिए नए कपडे लेने का, माता पिता के उम्मीद भरे सपने पुरे करने का, नए दोस्त बनाने का, ज़िंदगी का मज़ा खुल कर लेने का..और कमोबेश हम सभी दीपावली ऐसे ही मानते हैं.न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि हिंदुस्तान के बाहर भी यह पर्व बहुत ही हर्ष के साथ मनाया जाता है.
मगर मगर कुछ ऐसा है जिसके बिना हिंदुस्तान का हर त्यौहार अधूरा है और वो है संगीत और संगीत की बात हो और हिंदी फिल्म के गाने न हो ऐसा तो हो नहीं सकता, यह बात थोड़ी अलग और आश्चर्यचकित करने वाली है की बॉलीवुड में दीपावली के गाने बस कुछ ही हैं जबकि गाने लिखने के लिए विषय बहुत कुछ थे चाहे वो दीप, दिए, उजाले हों,लक्ष्मी पूजन हो, रामायण हो या और भी बहुत कुछ ..पर फिर भी हमने कोशिश की है की हम आपके लिए हिंदी चित्रपट के कुछ ऐसे सुन्दर गीतों की माला पिरो सकें जिसमें अलग अलग भाव हों, अलग अलग रंग हों. इनमे से कुछ गाने अपने सुने होंगे और कुछ ऐसे है जो आप सुन के मंत्रमुग्ध हो जायेंगे.
कैसे दिवाली मनाये लाला (फिल्म: पैगाम, १९६५, मो. रफ़ी )
हालाँकि इस फिल्म में मूख्य भूमिका में दिलीप साहब, राज कुमार और वैजयंती माला जी थे लेकिन जॉनी वाकर साहब के अलहदा
कॉमिक अंदाज़ ने इस गाने को अलग रंग दे दिया है और आजकल की मँहगाई पर भी यह गीत सटीक बैठता है.
लाखों तारें आसमान में ( फिल्म : हरियाली और रास्ता , १९६२, लता मंगेशकर , मुकेश )
यह गाना मनोज कुमार और माला सिन्हा के दीपावली के दिन अलग होने के दर्द को बता रहा है.गाने का संगीत बहुत मधुर है और लता
जी और मुकेश की आवाज़ में यह और खूबसूरत लगता है.
दीप दिवाली के झूठे (फिल्म : जुगनू , १९७३, किशोर कुमार )
यह दीपावली के कुछ मशहूर गानो में से एक है. खूबसूरत धर्मेन्द्र और ज़िंदादिल किशोर दा की आवाज़ में यह गीत अद्भुत लगता है.
धर्मेन्द्र का स्कूल बच्चो को इकठ्ठा करके गाना आपको ज़रूर अपने स्कूल के दिनों की याद दिलाएगा.
आई अब के साल दीवाली ( फिल्म : हक़ीक़त,१९६५, लता मंगेशकर )
यह गाना बहुत संजीदा किस्म का है, जिन लोगों ने अपनों को खो दिया उनके लिए दिवाली कैसी होगी उसका करिश्माई, संवेदनशील
चित्रण बखूबी इस गाने में आपको दिखाई देगा.
कभी ख़ुशी कभी ग़म ( फिल्म : कभी ख़ुशी कभी ग़म, २००१, लता मंगेशकर )
थोड़ा फ़ास्ट फॉरवर्ड करते हैं, करन जौहर की इस फिल्म का सेट, परिधान, कास्ट और बॉलीवुड के जादुई भावों से भरा यह गाना एक
अलग ही छाप छोड़ता है. शाहरुख़ खान की दीवाली के दिन एंट्री ऐसे दिखाई गयी है जैसे श्रीराम १४ साल के बाद अयोध्या लौट रहें हो !!!
जल्द ही कुछ और दीपावली के नग़मे बॉलीवुड से लेकर पोस्ट करेंगे तब तक लिए “दिलो में प्रीत रखिये, होठों पे गीत रखिये”…
Its a gr8 list.I have heard “kabhi khushi kabhi gam” and “deep diwali ke ” . Haqeeqat film si=ong is very touchy. waiting for another list …