शायरी-प्रेम-ज़िंदगी
खुद को खुद की खबर न लगे; कोई अच्छा भी इस कदर न लगे; आपको देखा है बस उस नजर से; जिस नजर से आपको नजर न लगे!
खुद को खुद की खबर न लगे; कोई अच्छा भी इस कदर न लगे; आपको देखा है बस उस नजर से; जिस नजर से आपको नजर न लगे!
जब लगा था “तीर” तब इतना “दर्द” न हुआ ग़ालिब… “ज़ख्म” का एहसास तब हुआ जब “कमान” देखी अपनों के हाथ में। – Mirza Ghalib